इश्क का लुफ्त तो देखिये साहेब..
कोई मर रहा है किसी पे मरने के लिए…!!
इश्क का लुफ्त तो देखिये साहेब..
कोई मर रहा है किसी पे मरने के लिए…!!
अपनी मुट्ठी में छुपा कर किसी जुगनू की तरह
हम तेरे नाम को चुपके से पढ़ा करते हैं
~अलीना इतरत
एक सन्त ने एक बार बताया था कि मोहब्बत सेहरी में पीये गए पानी की आखरी घूंट की जैसी होनी चाहिए जिसके बाद दूसरे घूंट की गुंजाइश ही नहीं होनी चाहिए।
उसकी आँखें गुलज़ार साहब की नज़्म हो जैसे…
उसकी बातें जैसे क़ैफ़ी आज़मी की ‘तेरी ख़ुशबू में बसे ख़त’…
एक मकाम तक आकर
उनका लौट जाना
मुड़ मुड़कर फिर आना
आकर सताना
न जाने क्यों
मेरी समझ से बाहर था
वो
कुछ कुछ इश्क़ सा था…..💕
बैठे चाय की प्याली लेकर पुराने किस्से याद करने…
चाय ठंडी होती गई और किस्से गरम होते गये !!
कैसे भूलेगी वो मेरी बरसोंकी चाहत को…
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दरिया अगर सूख भी जाये तो रेत से नमी नहीं जाती…
हर रोज़ खा जाते थे वो कसम मेरे नाम की,
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आज पता चला की जिंदगी धीरे धीरे ख़त्म क्यूँ हो रही है.