तुमने तो फिर भी सीख लिए दुनिया के चाल चलन…
हम तो कुछ भी ना कर सके बस मुहब्बत के सिवा !!
तुमने तो फिर भी सीख लिए दुनिया के चाल चलन…
हम तो कुछ भी ना कर सके बस मुहब्बत के सिवा !!
“कभी हमसे भी पूछ लिया करो हाल-ए-दिल,
कभी हम भी तो कह सकें दुआ है आपकी”
लिख दूँ किताब तेरी मासूमियत पे मैं
लेकिन
कहीं हर कोई तुझे पाने का तलबगार न हो जाए।
जैसे बरस पड़ती है …..
मेरी आंखे तुझे याद करके….
क्या कभी …..
तेरी बाहे नहीं तरसती …..
मुझे गले लगाने के लिए
कुछ अजीब शख्सियत है हम दोनों की…
न वो #Ghazal में बयाँ होती हैं न हम #Status में।
बात वो कहिए कि जिस बात के सौ पहलू हों,
कोई पहलू तो रहे बात बदलने के लिए।