शुरुआत में कितने भी कसमें वादें कर लो ,
अंत
” पापा नहीं मानेंगे बाबू ”
से होगा।
शुरुआत में कितने भी कसमें वादें कर लो ,
अंत
” पापा नहीं मानेंगे बाबू ”
से होगा।
किसी को गुलाब देना इश्क़ नहीं,
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उसे गुलाब की तरह रखना भी इश्क़ है
अधुरी है ख्वाहिश,
सिमट रही है जनवरी,
चौखट पर खड़ी है,
इश्क़ वाली फरवरी…❣
7 फरवरी से लव फ्लू फैल रहा है
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सभी अपने मुर्गे मुर्गियां का ध्यान रखें
जब क़िस्मत में ही नही हो
कोई पापा की परी
तो क्या जनवरी
और क्या फरवरी
मौसम में मस्त अजीब सी खुमारी छा रहीं हैं
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सुना है कि मोहब्बत की फरवरी आ रही है
साल शुरू होता है जनवरी से,
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दिलों के रिश्तें बनते है फरवरी से.
इश्क़ में कोई होगा कैद,
तो इश्क़ से कोई होगा बरी
आ गयी है यारों दिल जोड़ने
और तोड़ने वाली फरवरी.
माह – ए- इश्क़ फ़रवरी आ गई है,
अब कलमों के मिजाज़ भी बदलेंगे
और दिलों के भी……
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है
~ बशीर बद्र