संस्कार इसलिए भी कम हो गए हैं बच्चों में…
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पहले बुजुर्गों से सीखते थे और अब गूगल से .
संस्कार इसलिए भी कम हो गए हैं बच्चों में…
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पहले बुजुर्गों से सीखते थे और अब गूगल से .
दुनिया के साथ समस्या ये है कि बुद्धिमान लोग संदेह से भरे हैं
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जबकि मूर्ख आत्मविश्वास से!
~ चार्ल्स बुकोव्स्की
“मदद” एक ऐसी घटना है….
करो तो लोग भूल जाते हैं…
और न करो तो लोग याद रखते हैं
मुस्कान को तभी रोको
जब वो किसी को चोट पहुंचा रही हो
वरना …..
खिल खिलाकर हसने दो
चापलूस और आलोचक मे केवल इतना अन्तर है कि चापलूस अच्छा बनकर बुरा करता है
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और आलोचक बुरा बनकर अच्छा करता है
कुछ लोग जो पानी छानकर पीते हैं,
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खून बिना छना पी जाते हैं
~ हरिशंकर परसाई
लड़कों को, ईमानदार बाप
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निकम्मा लगता है!
–हरिशंकर परसाई
पुरुष रोता नहीं है पर जब वो रोता है, रोम-रोम से रोता है।
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उसकी व्यथा पत्थर में दरार कर सकती है
~ हरिशंकर परसाई
धर्म चालाक आदमी का शोषण का हथियार है और भोले आदमी के लिए भाग्यवाद की अफीम
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धर्म पर कब्ज़ा वह वर्ग कर लेता है जिसके अधिकार में उत्पादन के साधन होते हैं
~ हरिशंकर परसाई
मूर्खता से पैदा हुआ आत्मविश्वास
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सबसे बड़ा होता है!
– हरिशंकर परसाई