काग़ज़ का बदन

काग़ज़ का बदन

ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन ,

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दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो ।।

~राहत इंदौरी

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