“पेड़ अगर जो मोह लगाते
फल डालियों पर सड़ जाते।”
-शैलेन्द्र कुमार शर्मा
दिन प्रति दिन खुद में ही खोता जा रहा हूँ मैं
.
.
.
तुम्हारी मोहब्बत में जीडीपी होता जा रहा हूँ मैं
ये दिसम्बर भी बीतेगा पिछले साल की तरह,
.
.
.
इसे भी तुम्हारी तरह रुकने की आदत नहीं।
एक बार इश्क़ हो जाने दो हमको भी…
.
.
.
फिर शायरियां चेप चेप कर कलेजा ना फाड़ दिया तो कहना…😂
😂😂😂😂😂
बेज़ान आईने का दखल ग़वाऱा नही मुझे
मैं केवल खुद को तेरी आँखों में देखना चाहती हुँ 💞😘 💞
👉💞 💞👈
बेहपना मोहबतें –
ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन ,
.
.
.
दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो ।।
~राहत इंदौरी