इतना सस्ता कभी नहीं रहा था मैं ।।
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वो तो उसी के लिये रियायत ज्यादा थी।।
इतना सस्ता कभी नहीं रहा था मैं ।।
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वो तो उसी के लिये रियायत ज्यादा थी।।
समस्या ये भी गंभीर है
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जिसे तूँ सिर्फ अपनी समझता है,
वो पता नही कितनों की हीर है…
सुनो,
ये जो तुम रुठ के मुझसे
हर बार चले जाते हो…
दफ़न सारे अहसास बताओ
कहां कर आते हो ?
जहा दूसरे को समझाना मुश्किल हो जाये,
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वहा खुद को समझा लेना बहतर होता है…..