पायल बेचकर उसने लगवाए थे
मेरे गिटार में नए तार
अब तारों को छेड़ता हूँ
तो छम-छम की आवाज़ आती है
पायल बेचकर उसने लगवाए थे
मेरे गिटार में नए तार
अब तारों को छेड़ता हूँ
तो छम-छम की आवाज़ आती है
Dear #Soulmate
लाजमी तो नहीं, मुझे हर वक़्त याद करो…
बिल्कुल ही भूल जाओ, ये तो जुल्म है ना…!!!
उसकी आँखें गुलज़ार साहब की नज़्म हो जैसे…
उसकी बातें जैसे क़ैफ़ी आज़मी की ‘तेरी ख़ुशबू में बसे ख़त’…
स्कूल का वो बस्ता मुझे फिर से थमा दे माँ,
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ये ज़िन्दगी का सफर मुझे बड़ा मुश्किल लगता हैं!
ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैं ,
जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते हैं।
कैसे भूलेगी वो मेरी बरसोंकी चाहत को…
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दरिया अगर सूख भी जाये तो रेत से नमी नहीं जाती…
हर रोज़ खा जाते थे वो कसम मेरे नाम की,
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आज पता चला की जिंदगी धीरे धीरे ख़त्म क्यूँ हो रही है.