“पेड़ अगर जो मोह लगाते
फल डालियों पर सड़ जाते।”
-शैलेन्द्र कुमार शर्मा
कितने ही दिल तोड़ती है ये “फरवरी” …
यूंही नही बनाने वाले ने
इसके दिन घटाये होंगे..!
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है
~ बशीर बद्र
दिन प्रति दिन खुद में ही खोता जा रहा हूँ मैं
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तुम्हारी मोहब्बत में जीडीपी होता जा रहा हूँ मैं
दिसम्बर की सर्दी है उस के ही जैसी
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ज़रा सा जो छू ले बदन काँपता है ❣️🌹
हज़ार इश्क़ करो लेकिन इतना ध्यान रहे….
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के तुमको पहली मोहब्बत की बददुआ ना लगे…