इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं
चंद लम्हों में फ़ैसला न करो
~सुदर्शन फ़ाख़िर
मेरे घर की छत के ऊपर एक छोटी छत है, वहाँ का रास्ता एक कच्ची सीढ़ी से हो कर जाता है, जिसे बचपन में हम चढ़ तो आसानी से जाते थे, पर उतरने में डर लगता था। यह इश्क़ भी शायद वैसा ही है।
– आयुष्मान खुराना
प्यार किसी ऐसे से करो जिसकी ज़िन्दगी में दर्द हो
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क्यूकी वो इंसान कभी धोखा नहीं दे सकता…..
कुछ ज़ख़्म ऐसे भी होंगे, जिन्हें वक़्त भर लेगा,
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पर पहली नज़र के वार की बात ही कुछ और है..
उसकी मोहब्बतों का कैसे हिसाब हो,
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जो गले लग कर कहे तुम बहुत खराब हो।