दिन छोटे #दिसंबर की लंबी रात होगी,
सर्दिया चल रही हैा सिर्फ #चाय की बात होगी।।
चाय और इश्क

दिन छोटे #दिसंबर की लंबी रात होगी,
सर्दिया चल रही हैा सिर्फ #चाय की बात होगी।।

तुम ठंड से कांप कर लिपट जाओगी मुझसे
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बस इसी ख़्याल से #दिसंबर बहुत पसंद है मुझे
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है
~ बशीर बद्र
दिन प्रति दिन खुद में ही खोता जा रहा हूँ मैं
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तुम्हारी मोहब्बत में जीडीपी होता जा रहा हूँ मैं
सिर्फ झूठ को अच्छे लहजे की जरूरत है,
सच तो हर लहजे में कड़वा ही होता है।