चुभते हुए ख्वाबों से कह दो ..
अब आया ना करे..
हम तन्हा तसल्ली से रहते है….
बेकार उलझाया ना करे..
कुछ जवाब तेरी-मेरी
रहने दे कुछ बाते…..
यूँ ही अनकही सी..
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कुछ जवाब तेरी-मेरी …
ख़ामोशी में अटके ही अच्छे हैं.
दरिया अगर सूख भी जाये
कैसे भूलेगी वो मेरी बरसोंकी चाहत को…
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दरिया अगर सूख भी जाये तो रेत से नमी नहीं जाती…
अंदाज तो बारिशों का लगाया जाता है
हमारा अंदाज कोई ना लगाए तो ही ठिक होगा,.
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क्यूंकि अंदाज तो बारिशों का लगाया जाता है
तूफ़ान का नहीं.
कसम मेरे नाम की
हर रोज़ खा जाते थे वो कसम मेरे नाम की,
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आज पता चला की जिंदगी धीरे धीरे ख़त्म क्यूँ हो रही है.
लोग इसे मेरी मज़बूरी समझ बैठे
झुका हूँ तो कभी सिर्फ अपनों के लिए
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और लोग इसे मेरी मज़बूरी समझ बैठे
रिश्तों से भरोसा
नजाकत तो देखिये, की सूखे पत्ते ने डाली से कहा ..
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चुपके से अलग करना वरना लोगो का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा….