तुम ठंड से कांप कर लिपट जाओगी मुझसे
.
.
बस इसी ख़्याल से #दिसंबर बहुत पसंद है मुझे
तुम ठंड से कांप कर लिपट जाओगी मुझसे
.
.
बस इसी ख़्याल से #दिसंबर बहुत पसंद है मुझे
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है
~ बशीर बद्र
कहीं पढ़ा था-
“बो देना प्रेम नहीं है।
उग आना प्रेम है”
और मैं कह आया–
“बो देना या फिर उग आना
प्रेम है या नहीं
ये तो मैं नहीं जानता।
बस इतना जानता हूँ
उस उग आये
पौध को
सींचते रहना ही प्रेम है!”
प्यार होना चाहिए मगर कैसा प्यार चाहिए!
प्यार ऐसा हो कि बस उसे एक नज़र देख ले और फिर कुछ देखने का मन करे. कि एक बार उसके गले से लिपट कर रो लें तो तमाम उम्र रोने की हसरत न करे. कि जिस शहर, जिस गली में उस से मिल ले वो शहर, वो गली हमारी गली हो जाए.
कि जब भी गुज़रों उन रास्तों से जिन पर कभी साथ चले थे तो उसका वहाँ होना महसूस हो सके. कि उसके बदन की ख़ुशबू वहाँ की फ़िज़ाओं से घुलता हुआ तुम में उतरता सा लगे. कि उसका नहीं होना भी होना सा लगे. हमेशा के लिए. हमेशा के लिए.
लगने दो गर लगती है तेरे होठों की लिपस्टिक मेरे चेहरे पे,
सालों से बोरो प्लस लगा लगा के ये भी बोर सा हुआ बैठा है ।
😂😂😂
इश्क का लुफ्त तो देखिये साहेब..
कोई मर रहा है किसी पे मरने के लिए…!!
बैठे चाय की प्याली लेकर पुराने किस्से याद करने…
चाय ठंडी होती गई और किस्से गरम होते गये !!
तेरे होंठो को देखा तो एक बात उठी जहन में
वो लफ्ज़ कितने नशीले होंगे, जो इनसे होकर गुजरते है
डरता हूँ कहने से की मोहब्बत है तुम से,
कि मेरी जिंदगी बदल देगा
तेरा इकरार भी
और इनकार भी..