प्यार होना चाहिए मगर कैसा प्यार चाहिए!
प्यार ऐसा हो कि बस उसे एक नज़र देख ले और फिर कुछ देखने का मन करे. कि एक बार उसके गले से लिपट कर रो लें तो तमाम उम्र रोने की हसरत न करे. कि जिस शहर, जिस गली में उस से मिल ले वो शहर, वो गली हमारी गली हो जाए.
कि जब भी गुज़रों उन रास्तों से जिन पर कभी साथ चले थे तो उसका वहाँ होना महसूस हो सके. कि उसके बदन की ख़ुशबू वहाँ की फ़िज़ाओं से घुलता हुआ तुम में उतरता सा लगे. कि उसका नहीं होना भी होना सा लगे. हमेशा के लिए. हमेशा के लिए.