Tag: <span>kataksh</span>

Tag: kataksh

दिन प्रति दिन खुद में ही खोता जा रहा हूँ मैं

दिन प्रति दिन खुद में ही खोता जा रहा हूँ मैं
.
.

.

तुम्हारी मोहब्बत में जीडीपी होता जा रहा हूँ मैं

धर्म शोषण या भाग्यवाद

धर्म चालाक आदमी का शोषण का हथियार है और भोले आदमी के लिए भाग्यवाद की अफीम

.

धर्म पर कब्ज़ा वह वर्ग कर लेता है जिसके अधिकार में उत्पादन के साधन होते हैं

~ हरिशंकर परसाई