“मै एक मज़दूर हूँ।
जिस दिन कुछ लिख न लूँ,
उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं।”
#प्रेमचंद
“मै एक मज़दूर हूँ।
जिस दिन कुछ लिख न लूँ,
उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं।”
#प्रेमचंद
दिन प्रति दिन खुद में ही खोता जा रहा हूँ मैं
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तुम्हारी मोहब्बत में जीडीपी होता जा रहा हूँ मैं
कुछ लोग जो पानी छानकर पीते हैं,
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खून बिना छना पी जाते हैं
~ हरिशंकर परसाई
पुरुष रोता नहीं है पर जब वो रोता है, रोम-रोम से रोता है।
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उसकी व्यथा पत्थर में दरार कर सकती है
~ हरिशंकर परसाई
धर्म चालाक आदमी का शोषण का हथियार है और भोले आदमी के लिए भाग्यवाद की अफीम
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धर्म पर कब्ज़ा वह वर्ग कर लेता है जिसके अधिकार में उत्पादन के साधन होते हैं
~ हरिशंकर परसाई
मूर्खता से पैदा हुआ आत्मविश्वास
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सबसे बड़ा होता है!
– हरिशंकर परसाई
भगवान पांच लड़कियों के बाद
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लड़का देकर अपने होने का सबूत देता रहता है।
~ हरिशंकर परसाई
जिन्हें पसीना सिर्फ़ गर्मी और भय से आता है,
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वे श्रम के पसीने से बहुत डरते हैं!
– हरिशंकर परसाई