घमण्ड बता देता है कितना पैसा है ।
#मर्यादा बता देती है परिवार कैसा है ।।
बोली बता देती है इंसान कैसा है ।
बहस बता देती है ज्ञान कैसा है ।।
नजरें बता देती है सूरत कैसी है ।
स्पर्श बता देता है नीयत कैसी है ।।
#बज़्म
घमण्ड बता देता है कितना पैसा है ।
#मर्यादा बता देती है परिवार कैसा है ।।
बोली बता देती है इंसान कैसा है ।
बहस बता देती है ज्ञान कैसा है ।।
नजरें बता देती है सूरत कैसी है ।
स्पर्श बता देता है नीयत कैसी है ।।
#बज़्म
उसकी आँखें गुलज़ार साहब की नज़्म हो जैसे…
उसकी बातें जैसे क़ैफ़ी आज़मी की ‘तेरी ख़ुशबू में बसे ख़त’…
एक मकाम तक आकर
उनका लौट जाना
मुड़ मुड़कर फिर आना
आकर सताना
न जाने क्यों
मेरी समझ से बाहर था
वो
कुछ कुछ इश्क़ सा था…..💕
काश तुम पूछो की मुझसे क्या चाहिये,
मैं पकडू बस तेरा हाथ और कहूँ
सिर्फ तेरा साथ चाहिये…
तुमने तो फिर भी सीख लिए दुनिया के चाल चलन…
हम तो कुछ भी ना कर सके बस मुहब्बत के सिवा !!