न शोहरत की दरकार थी
न तोहमत से बैर था
उम्मीद इतना ही था की
वो अपना था गैर न था
~बेबाक इलाहाबादी
न शोहरत की दरकार थी
न तोहमत से बैर था
उम्मीद इतना ही था की
वो अपना था गैर न था
~बेबाक इलाहाबादी
फिर वही शाम,फिर वही चाय..
फिर वहीं तेरी,याद का आना..
फिर वही बेचैनी,फिर वहीं तलब..
फिर वही हर घुट में,तुझे महसूस कर जाना,
फिर वही इंतज़ार,बस इतना ही है इश्क।❤❤❤

जो मिला उसमें ही खुश रहता हूँ, क्योंकि मेरी उंगलियां ही मुझे सिखाती हैं कि दुनिया में बराबर कोई नहीं !!

लडका – बेबी हर जगह सिक्योरिटी गेट पर मुझे इतना चेक क्यों करते हैं?
लडकी – क्योंकि तु आंतकवादी लगता है इसलिए
लडका – आंतकवादी लगुंगा ही क्योंकि तेरे जैसी बम को लेकर घुम रहा हूँ..
😂😀😀😀😀
जो लोग दिल के अच्छे होते है,..
दिमाग वाले अक्सर उनका जम कर फायदा उठाते है
🙏सुप्रभात 🙏
जहा दूसरे को समझाना मुश्किल हो जाये,
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वहा खुद को समझा लेना बहतर होता है…..
मेरी तक़दीर में एक भी गम ना होता,
अगर तक़दीर लिखने का हक़ मेरी माँ को होता..!!
स्कूल का वो बस्ता मुझे फिर से थमा दे माँ,
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ये ज़िन्दगी का सफर मुझे बड़ा मुश्किल लगता हैं!