लिपट लिपट कर कह रही हैं, दिसम्बर की ये आखिरी शामें,
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अलविदा कहने से पहले एक बार गले तो लगा लो…!
लिपट लिपट कर कह रही हैं, दिसम्बर की ये आखिरी शामें,
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अलविदा कहने से पहले एक बार गले तो लगा लो…!
ये दिसम्बर भी बीतेगा पिछले साल की तरह,
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इसे भी तुम्हारी तरह रुकने की आदत नहीं।
ए नसीब ज़रा एक बात तो बता…
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तू सबको आज़माता है या मुझसे ही दुश्मनी है!
राजनीतिक प्रपोजल
नियंत्रण रेखा पार कर गया है तेरा इश्क़
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दिल अब द्विपक्षीय वार्ता करना चाहता है !!
एक बार इश्क़ हो जाने दो हमको भी…
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फिर शायरियां चेप चेप कर कलेजा ना फाड़ दिया तो कहना…😂
😂😂😂😂😂
बेज़ान आईने का दखल ग़वाऱा नही मुझे
मैं केवल खुद को तेरी आँखों में देखना चाहती हुँ 💞😘 💞
👉💞 💞👈
बेहपना मोहबतें –
ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन ,
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दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो ।।
~राहत इंदौरी