अब नज़र से जिस्म छिल जाने का ख़ौफ़ है,
आजकल पोशाकों में अस्तर नहीं मिलते…!
#Shayari
अब नज़र से जिस्म छिल जाने का ख़ौफ़ है,
आजकल पोशाकों में अस्तर नहीं मिलते…!
#Shayari
बात वो कहिए कि जिस बात के सौ पहलू हों,
कोई पहलू तो रहे बात बदलने के लिए।
थके लोगों को मजबूरी में चलते देख लेता हूँ
मैं बस की खिड़कियों से ये तमाशे देख लेता हूँ
~मुनीर नियाज़ी
जो ये दीवार का सुराख है साज़िश का हिस्सा है
मगर हम इसे अपने घर का रोशन दान कहते है..
#राहत_इंदौरी
जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते हैं ख़ामोशी
जो आँखों में दिखाई दे उसे तूफ़ान कहते हैं!
#राहतइंदौरी
ज़रा सी देर को तुम अपनी आँखें दे दो मुझे
ये देखना है कि मैं तुम को कैसा लगता हूँ
=मुईन शादाब