मेरी शायरियों का बस इतना उसूल है
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तुम वाह ! कहो तो मुकम्मल
बर्ना सब फिजूल है !
अजीब पहेली है इश्क…
सताता है,
सहलाता है,
हँसाता है,
रुलाता है….
दर्द देता है…
औऱ
दर्द देने वाले के हक में ही
रात सारी दुआँ पढ़वाता है।
समझता ही नहीं वो शख़्स,
अल्फ़ाज़ की गहराई…
हमने हर वो लफ़्ज़ कह दिया,
जिस में मोहब्बत है..!!
मेरे घर की छत के ऊपर एक छोटी छत है, वहाँ का रास्ता एक कच्ची सीढ़ी से हो कर जाता है, जिसे बचपन में हम चढ़ तो आसानी से जाते थे, पर उतरने में डर लगता था। यह इश्क़ भी शायद वैसा ही है।
– आयुष्मान खुराना
अगर बात ख्वाबों कि करूं
तो सिर्फ इतना ही कहुँगी …
तुमसे जुड़ा हो तो हसीन है,
और अगर तुम्हारा हो तो बेहतरीन…