बढ़ रही हैं तुमसे दूरियाँ…
आ बैठ गलत फमहियाँ
मिटाते हैं…
पढ़ना मेरे लिए इतना
मुश्किल काम नहीं है
जितना मुश्किल काम घर वालो को
यकीन दिलाना है कि मै पढ़ रहा हूं
मुझसे नफरत करनी है तो इरादे मजबूत रखना
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जरा से भी चूके तो महोब्बत हो जायेगी।
कुछ अजीब शख्सियत है हम दोनों की…
न वो #Ghazal में बयाँ होती हैं न हम #Status में।
थके लोगों को मजबूरी में चलते देख लेता हूँ
मैं बस की खिड़कियों से ये तमाशे देख लेता हूँ
~मुनीर नियाज़ी
ज़िन्दगी की एक यही तमन्ना है ,
तुम मेरी सारे बातें मानो और मैं तुम्हारी एक भी नहीं
दिल से थोड़ी बच्ची हूँ
किसी का दिल नहीं तोड़ सकती ,
लेकिन किसी का मुँह ज़रूर तोड़ सकती हूँ