तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए
कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए
~फ़ना निज़ामी कानपुरी
तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए
कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए
~फ़ना निज़ामी कानपुरी
ला रहे हैं नींद के #आग़ोश में
अश्क़ मुझको थपकियां देते हुए…
नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है
उन की #आग़ोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं
जिंदगी नाव की मानिंद यूँ ही बस चलती रहे
मुहब्बत की आग प्यासे दिलों में जलती रहे
लहरें तो सदा #आग़ोश में लेने को मचलती है
कुछ दूर से ही नज़रों से ये नज़र मिलती रहे
तू रंज न कर मैं तुझसे नही खुद से रुठा हूँ..
मैं वो फल हूँ जो अपनो के पत्थर से टूटा हूँ..
“छूट गया हाथों से” वो मेरे
कुछ इस “कदर”
रेत “फिसलती” है जैसे “बन्द मुट्ठी से”💔…..
#उम्मीद लगाए आज भी,
तेरा करता हूं इंतज़ार.!
आओगे एक दिन पास मेरे,
जब टूटेगा विश्वास.!
मैं चाहूंगा फिर भी तुमको,
तुम रखना यह विश्वास.!
मेरा दर खुला है खुला रहेगा,
यह जानो मेरी बात.!
जुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आजमाये गये,
जुल्म भी सहा हमने, और जालिम भी कहलाये गये!!