Category: <span>जिंदगी</span>

Category: जिंदगी

भूख इन्सान को ग़द्दार बना देती है

तन की हवस मन को गुनहगार बना देती है
बाग के बाग़ को बीमार बना देती है
भूखे पेटों को देशभक्ति सिखाने वालो
भूख इन्सान को ग़द्दार बना देती है

~ गोपालदास “नीरज”

मैं रुई पर एक कविता लिखूँगा

मैं रुई पर एक
कविता लिखूँगा
और उसे तेल में डुबाकर
दिया में सजाऊँगा

फिर संसार के सबसे ऊंचे
पर्वत पर जाकर
मैं उस दीये को जलाऊँगा

कविता में कुछ हो न हो
उजाला जरूर होना चाहिए
बस इतना उजाला
जो अंधेरा हर सके।

~ देवेंद्र

एक अबोध बालक

तमाम प्रेम कविताओं
और
तरल सम्वेदनाओं के बावजूद
नहीं पकड़ पाए वो रंग
जिसमें डूब
एक अबोध बालक
बिल्ली के अक्ष्म बच्चे को
सहलाता है
छुप कर पालता है
और
उचित समय
दूर कहीं पेड़ के नीचे सुरक्षित छोड़
निर्लप्त चला आता है

फिर से कहीं और प्रेम बाँटने के लिए…

मुझे छोड़कर जो तुम जाओगे , बड़ा पछताओगे बड़ा पछताओगे

दूध को गैस पर 2 मिनट छोड़ने के बाद दूध भी नसीहत देने लगता है

.

.

.

मुझे छोड़कर जो तुम जाओगे…

बड़ा पछताओगे बड़ा पछताओगे

😂 😂

शिकायत

अब वक्त से शिकायतें मत रखिये न कि वह सही नहीं चल रहा,”हम बात नहीं कर पा रहे,तुम्हारी बकवास नहीं सुन पा रहा।”

.

.
उन दिनों को भी तो याद करिये न ज़नाब जब मैं घण्टों बोलती थी आपका ज़वाब सिर्फ़ ‘हूँ’ होता था और आंखें मोबाइल स्क्रीन पर…..

#शिक़ायत

जूते की अभिलाषा

चाह नही मैं ब्रांडेड होकर अपने जीवन पर इतराऊँ

चाह नही मैं विश्व सुंदरी के , पग में पहना जाऊँ

चाह नही दूल्हे के पग में रह, साली को ललचाऊँ

चाह नही धनीको के चरणों मे , हे हरि मैं डाला जाऊँ

ए सी में रहूँ कालीन पर घूमूं , और अपने भाग्य पर इठलाऊँ

मुझे निकाल कर पैरों से ,

उस मुँह पर तुम देना फेंक

जिस मुँह से भी निकल रहे हो , देशद्रोह के शब्द अनेक

आप कैमरे की नजर में हैं

पहले दुकानों पर लिखा होता था,
“ग्राहक भगवान है”
तब देवताओ जैसी फीलिंग आया करती थी।

अब लिखा होता है,
“आप कैमरे की नजर में हैं”
अब चोर जैसी फीलिंग आती है….

😂😂😂😂
रिश्ता वही सोच नई…