वो अनिवार्य थी
छोड़ी न गई
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मैं विकल्प था
खाली छोड़ा गया .
एक आख़िरी मुलाक़ात को
बुलाया था उसने
मैं नहीं गया,
यूँ न जाकर
मैंने बचाये रखी
एक आख़िरी मुलाक़ात
~ पंकज विश्वजीत
बेचैन आँखो में ये कैसी नमी हैं
हाथ में #चाय हैं मगर
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साथ पीने वाली की कमी हैं..!!
फुर्सत मिली तो आयेंगे
और पियेंगे ज़रूर…
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सुना है #चाय बनाती हो
तो गली महक उठती है…
मेरे हाथ अक्सर एक हाथ तलाशा करते है,
तुझसे गुजरे है, तेरा साथ तलाशा करते है
गालियां, वो सड़के, इश्क़ में थी सनी – सनी ,
ओस की बूंदों में वही रात तलाशा करते है
© नेहा नूपुर
मैं तुम्हारा नाम पुकारूँ
तुम महक-महक जाओ
मैं बनाऊं एक कविता
तुम कलाम की स्याही बन जाओ
–नेहा नूपुर
आखिरी बार पूछ रहा हू.. 🤓
किसीको मुझसे प्यार है तो बता दो 💃
*वर्ना “वेलेंटाइन डे” वाला पैसा* 💰
*म्यूचुयल फंड* में इन्वेस्ट कर दूंगा!😜
😂😂🤑😝😂😂
दिसम्बर की सर्दी है उस के ही जैसी
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ज़रा सा जो छू ले बदन काँपता है ❣️🌹
फिर से तेरी यादों का मेरे दिल में बबंडर है…!!
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वही मौसम, वही सर्दी, वही दिलकश दिसम्बर है…!!