बात वो कहिए कि जिस बात के सौ पहलू हों,
कोई पहलू तो रहे बात बदलने के लिए।
थके लोगों को मजबूरी में चलते देख लेता हूँ
थके लोगों को मजबूरी में चलते देख लेता हूँ
मैं बस की खिड़कियों से ये तमाशे देख लेता हूँ
~मुनीर नियाज़ी
जो ये दीवार का सुराख है साज़िश का हिस्सा है
जो ये दीवार का सुराख है साज़िश का हिस्सा है
मगर हम इसे अपने घर का रोशन दान कहते है..
#राहत_इंदौरी
जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते हैं ख़ामोशी
जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते हैं ख़ामोशी
जो आँखों में दिखाई दे उसे तूफ़ान कहते हैं!
#राहतइंदौरी
ज़रा सी देर को तुम अपनी आँखें दे दो मुझे
ज़रा सी देर को तुम अपनी आँखें दे दो मुझे
ये देखना है कि मैं तुम को कैसा लगता हूँ
=मुईन शादाब
कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए
तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए
कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए
~फ़ना निज़ामी कानपुरी
जिंदगी नाव की मानिंद यूँ ही बस चलती रहे
जिंदगी नाव की मानिंद यूँ ही बस चलती रहे
मुहब्बत की आग प्यासे दिलों में जलती रहे
लहरें तो सदा #आग़ोश में लेने को मचलती है
कुछ दूर से ही नज़रों से ये नज़र मिलती रहे
राह में खतरे भी हैं लेकिन ठहरता कौन है
राह में खतरे भी हैं लेकिन ठहरता कौन है.
मौत कल आती है आज आ जाए डरता कौन है.
तेरे लश्कर के मुक़ाबिल में अकेला हूँ मगर
फैसला मैदान में होगा के मरता कौन है….
– राहत इंदौरी