“छूट गया हाथों से” वो मेरे
कुछ इस “कदर”
रेत “फिसलती” है जैसे “बन्द मुट्ठी से”💔…..
“छूट गया हाथों से” वो मेरे
कुछ इस “कदर”
रेत “फिसलती” है जैसे “बन्द मुट्ठी से”💔…..
दिल खुद ढूंढ लेता है तेरी बेरुखी के बहाने।
तुम्हे अपनी सफाई में कुछ कहने की जरूरत नही।।
मेरे घर की छत से रिसती है मेरी असफलताएं
बरसातों में और मेरी अवस्था मेरा उपहास उड़ाती है…
कबूतरों को उड़ा देता हूँ छत से
उनकी खुशी देख के अब मुझे जलन होती हैं।