इस बार उस की आँखों में इतने सवाल थे
मैं भी सवाल बन के सवालों में रह गया
मैं ख़ुद से रूठ गया हूँ उसे मनाते हुए
घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए
मैं ख़ुद से रूठ गया हूँ उसे मनाते हुए
~अज़हर इक़बाल
जहा दूसरे को समझाना मुश्किल हो जाये
जहा दूसरे को समझाना मुश्किल हो जाये,
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वहा खुद को समझा लेना बहतर होता है…..
दरिया अगर सूख भी जाये
कैसे भूलेगी वो मेरी बरसोंकी चाहत को…
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दरिया अगर सूख भी जाये तो रेत से नमी नहीं जाती…