प्रेम में पागल हो जाना
किसी हद तक ठीक है,
बेवकूफ बनना बिलकुल ठीक नहीं है।
#दिनकर
प्रेम में पागल हो जाना
किसी हद तक ठीक है,
बेवकूफ बनना बिलकुल ठीक नहीं है।
#दिनकर
सुन रहे हो प्रिय?
तुम्हें मैं प्यार करती हूँ।
और जब नारी किसी नर से कहे,
प्रिय! तुम्हें मैं प्यार करती हूँ,
तो उचित है, नर इसे सुन ले ठहर कर,
प्रेम करने को भले ही वह न ठहरे।
~ दिनकर (‘उर्वशी’ से)