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प्रेम मेरे लिए वह अंतहीन यात्रा है

प्रेम मेरे लिए वह अंतहीन यात्रा है जिसका कोई लक्ष्य नहीं!तुम भी नहीं!!

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तुम तो वह सहयात्री हो जिसका हाथ पकड़ मैं इस शाश्वत यात्रा पर निकलना चाहता हूँ!!!

प्यार होना चाहिए मगर कैसा प्यार चाहिए

प्यार होना चाहिए मगर कैसा प्यार चाहिए!

प्यार ऐसा हो कि बस उसे एक नज़र देख ले और फिर कुछ देखने का मन करे. कि एक बार उसके गले से लिपट कर रो लें तो तमाम उम्र रोने की हसरत न करे. कि जिस शहर, जिस गली में उस से मिल ले वो शहर, वो गली हमारी गली हो जाए.

कि जब भी गुज़रों उन रास्तों से जिन पर कभी साथ चले थे तो उसका वहाँ होना महसूस हो सके. कि उसके बदन की ख़ुशबू वहाँ की फ़िज़ाओं से घुलता हुआ तुम में उतरता सा लगे. कि उसका नहीं होना भी होना सा लगे. हमेशा के लिए. हमेशा के लिए.

तुम मेरी हर बात मानो

तुम मेरी हर बात मानो
हर बार भरोसा करो
हर बार उतनी ही गर्माहट से हाथ गहो
तुम्हारे बोसे में
उतना ही तीखापन हो
हर बार
तुम चुप हो जाओ
लड़ो नहीं
यह कतई ज़रूरी नहीं
इन अपूर्णताओं के बदले में
क्या पता
हमें एक अदद ज़िन्दगी मिले एक साथ
एक दूसरे को पूरा बनाने को।