आदत भी हो
और जरूरत भी हो तुम मेरी
जैसी भी हो सच्ची मोहब्बत भी हो तुम मेरी

आदत भी हो
और जरूरत भी हो तुम मेरी
जैसी भी हो सच्ची मोहब्बत भी हो तुम मेरी

इश्क का लुफ्त तो देखिये साहेब..
कोई मर रहा है किसी पे मरने के लिए…!!
एक सन्त ने एक बार बताया था कि मोहब्बत सेहरी में पीये गए पानी की आखरी घूंट की जैसी होनी चाहिए जिसके बाद दूसरे घूंट की गुंजाइश ही नहीं होनी चाहिए।