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Tag: kadwa sach

आदमी क्‍या चूहे से भी बद्तर हो गया है

“आदमी क्‍या चूहे से भी बद्तर हो गया है? चूहा तो अपनी रोटी के हक के लिए मेरे सिर पर चढ़ जाता है, मेरी नींद हराम कर देता है”

~ हरिशंकर परसाई (“चूहा और मै”)

अर्थशास्त्र जब धर्मशास्त्र के ऊपर चढ़ बैठता है

“अर्थशास्त्र जब धर्मशास्त्र के ऊपर चढ़ बैठता है तब

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गोरक्षा आन्दोलन के नेता जूतों की दुकान खोल लेते हैं।”
~ हरिशंकर परसाई

अंधेरे का डर

चाहे कोई दार्शनिक बने साधु बने या मौलाना बने, अगर वो लोगों को अंधेरे का डर दिखाता है,

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तो ज़रूर वो अपनी कंपनी का टॉर्च बेचना चाहता है।

~ हरिशंकर परसाई