मैं गणित था उलझता गया
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वो कला थी तो निखरती गई
एक आख़िरी मुलाक़ात को
बुलाया था उसने
मैं नहीं गया,
यूँ न जाकर
मैंने बचाये रखी
एक आख़िरी मुलाक़ात
~ पंकज विश्वजीत
After Life Ends your Relationship
Be mohammad shami
Not kabir singh

ए नसीब ज़रा एक बात तो बता…
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तू सबको आज़माता है या मुझसे ही दुश्मनी है!
तुझे मुफ़्त में जो मिल गये हम
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तू क़दर ना करें ये तेरा हक़ बनता है…
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जिन्दगी स्टेशन की तरह
हो गई है…
लोग तो बहुत है लेकिन
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अपना कोई नही…