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सुलझा हुआ इंसान

“सुलझा हुआ इंसान वह है जो अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेता है, और उन निर्णयों के परिणाम के लिए के किसी दूसरें को दोष नहीं देता”

मैं वो फल हूँ जो अपनो के पत्थर से टूटा हूँ

तू रंज न कर मैं तुझसे नही खुद से रुठा हूँ..

मैं वो फल हूँ जो अपनो के पत्थर से टूटा हूँ..

न बिकने का इरादा हो तो क़ीमत और बढ़ती है

सफ़र में मुश्किलें आएँ तो जुर्रत और बढ़ती है
कोई जब रास्ता रोके तो हिम्मत और बढ़ती है

मेरी कमज़ोरियों पर जब कोई तनक़ीद करता है
वो दुशमन क्यों न हो उस से मुहव्बत और बढ़ती है

अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते हैं दाम अक़सर
न बिकने का इरादा हो तो क़ीमत और बढ़ती है

~ नवाज़ देवबन्दी