लिपट कर बदन कई तिरंगे में

लिपट कर बदन कई तिरंगे में

लिपट कर बदन कई तिरंगे में आज भी आते हैं,

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यूँ ही नही दोस्तो हम आज़ादी मनाते हैं।

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