तमाम प्रेम कविताओं
और
तरल सम्वेदनाओं के बावजूद
नहीं पकड़ पाए वो रंग
जिसमें डूब
एक अबोध बालक
बिल्ली के अक्ष्म बच्चे को
सहलाता है
छुप कर पालता है
और
उचित समय
दूर कहीं पेड़ के नीचे सुरक्षित छोड़
निर्लप्त चला आता है
फिर से कहीं और प्रेम बाँटने के लिए…
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इस दिल मे प्यार था कितना,
वो जान लेते तो क्या बात होती,
हमने माँगा था उन्हें ख़ुदा से,
वो भी माँग लेते तो क्या बात होती।