सुनो…
तुम्हारी याद भी इस दिसम्बर में,
गुनगुनी धुप सा मजा देती है…
ऐ दिसम्बर तू सब कुछ ले आया है सिवाय उसके
ये सर्द हवाएँ,बिखरे पत्ते और तन्हाई,
ऐ दिसम्बर तू सब कुछ ले आया है सिवाय उसके…
तू दिसम्बर की तरह है
ये कैसा ख्याल है तेरा,
जो मेरा हाल बदल देता है,
तू दिसम्बर की तरह है,
जो पूरा साल बदल देता है..!
कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए
तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए
कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए
~फ़ना निज़ामी कानपुरी
याद कर लेना मुझे तुम कोई भी जब पास न हो
याद कर लेना मुझे तुम कोई भी जब पास न हो
चले आएंगे इक आवाज़ में भले हम ख़ास न हों
महके-महके से रहते हैं खुश्बू से तेरी
महके-महके से रहते हैं खुश्बू से तेरी
तुम बन के इत्र बिखर गये हो मुझमें कहीं.!!
दिल खुद ढूंढ लेता है तेरी बेरुखी के बहाने
दिल खुद ढूंढ लेता है तेरी बेरुखी के बहाने।
तुम्हे अपनी सफाई में कुछ कहने की जरूरत नही।।