खुद को खुद की खबर न लगे
कोई अच्छा भी इस कदर न लगे….
आपको देखा है उस नजर से
जिस नजर से आपको नजर न लगे ..
“कभी हमसे भी पूछ लिया करो हाल-ए-दिल,
कभी हम भी तो कह सकें दुआ है आपकी”
मुक्तलिफ है इश्क़ का गणित यारों
यहाँ तुम और मैं दो नहीं, एक होते हैं
चाशनी में डूबी दुनिया की मोहब्बतें एक तरफ़
मेरी तुम्हारी नीम सी कड़वी लड़ाइयाँ एक तरफ़
सलीका नक़ाब का भी
तुमने अजब कर रखा है।
जो आँखे हैं क़ातिल,
उन्हीं को खुला छोड़ रखा है।।