Category: <span>Romantic</span>

Category: Romantic

हर बात तुम्हारी अच्छी हैं

मैं तुमसे बेहतर लिखता हूँ

पर जज्बात तुम्हारे अच्छे हैं

मैं खुश हरदम रहता हूँ

पर मुस्कान तुम्हारी अच्छी हैं

मैं अपने उसूलों पर चलता हूँ

पर ज़िद तुम्हारी अच्छी हैं

मैं एक बेहतर शख्सियत हूँ ,

पर सीरत तुम्हारी अच्छी हैं

मैं कितना भी कुछ कहता रहूँ

पर हर बात तुम्हारी अच्छी हैं

शौक था कभी पढ़ने का उन्हें

शौक था कभी पढ़ने का उन्हें जिन्हे पढ़ कर सभी छोड़ दिया करते थे
आज छोड़ रहे है वो मेहताब उन्हें
जो छोड़ी चीज को खुशी से जोड़ दिया करते थे

दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था

दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था|
तुम्हारे घर का सफ़र इस क़दर सख्त न था।

इतने मसरूफ़ थे हम जाने के तैयारी में,
खड़े थे तुम और तुम्हें देखने का वक्त न था।

– गोपालदास नीरज