कितनी ही इलायचियां पीस कर डालीं,
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बग़ैर तेरे चाय में महक है ना लज्ज़त है…!! ❤️
कितनी ही इलायचियां पीस कर डालीं,
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बग़ैर तेरे चाय में महक है ना लज्ज़त है…!! ❤️
मेरे हाथ अक्सर एक हाथ तलाशा करते है,
तुझसे गुजरे है, तेरा साथ तलाशा करते है
गालियां, वो सड़के, इश्क़ में थी सनी – सनी ,
ओस की बूंदों में वही रात तलाशा करते है
© नेहा नूपुर
मैं तुम्हारा नाम पुकारूँ
तुम महक-महक जाओ
मैं बनाऊं एक कविता
तुम कलाम की स्याही बन जाओ
–नेहा नूपुर
मोहब्बत मेरी हर धड़कन में मौजूद है
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मैं फ़रवरी का इंतज़ार नहीं करता
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जब थामा था हाथ तेरा पहली बार…
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लगा जैसे किसी ने सर्दी में ठिठुरते हाथों में चाय कि प्याली दे दी हो
💓💓💓💓
मैंने कहा बहुत प्यार आता है तुम पर
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वो मुस्कुरा कर बोले और तुम्हे आता ही क्या है।
ए नसीब ज़रा एक बात तो बता…
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तू सबको आज़माता है या मुझसे ही दुश्मनी है!
चेहरा खूबसूरत हैं तो आशिक़ों की कमी नहीं
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तलाश उनकी हैं जो झुर्रियों को भी दिल से चूमे
रहने दो “उधार” इक मुलाकात
यूं ही..!
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सुना है “उधार” वालों को “लोग”
“भुलाया” नहीं करते..!!