अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी
कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी
– शकील आज़मी
जितने सिक्कों से माँ मेरी नज़र उतारा करती थी
कमा के इतनी दौलत भी मैं अपनी माँ को दे ना पाया,
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के जितने सिक्कों से माँ मेरी नज़र उतारा करती थी..!!
आज भी भूख मिटती नहीं माँ
तेरी डिब्बे की वो दो रोटिया कही बिकती नहीं, माँ,
महँगे होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं माँ …!!
जब एक रोटी के चार टुकड़े हों
जब एक रोटी के चार टुकड़े हों और खाने वाले पाँच,
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तब मुझे भूख नहीं है ऐसा कहने वाली इंसान है – माँ !
माँ सोती भी हैं, तो फिक्रमंद होती हैं
माना थक कर आँखे उसकी बंद होती हैं ,
पर माँ सोती भी हैं, तो फिक्रमंद होती हैं।
ऊपर जिसका अंत नहीं
ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैं ,
जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते हैं।
मै आज भी तेरा ही बच्चा हूँ
सीधा साधा भोला भाला
तेरे लिए मै ही सबसे अच्छा हूँ ,
कितना भी हो जाऊ बड़ा माँ
मै आज भी तेरा ही बच्चा हूँ ।
कब तक मुझे अपने कन्धों पर सोने दोगी!
मैंने “माँ ” के कंधे पर सर रख कर पूछा – “माँ ” कब तक मुझे अपने कन्धों पर सोने दोगी!
माँ का जवाब था – बेटा जब तक तू, मुझे अपने कंधे पर ना उठा ले तब तक