जिंदगी हो या शतरंज, मजा तभी है दोस्त,……
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जब रानी मरते दम तक साथ हो…….
बिना जिस्म को छुए
कोई रूह से लिपट जाए…
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मेरे ख्याल में तो
वही सच्चा इश्क़ है..
तमाम प्रेम कविताओं
और
तरल सम्वेदनाओं के बावजूद
नहीं पकड़ पाए वो रंग
जिसमें डूब
एक अबोध बालक
बिल्ली के अक्ष्म बच्चे को
सहलाता है
छुप कर पालता है
और
उचित समय
दूर कहीं पेड़ के नीचे सुरक्षित छोड़
निर्लप्त चला आता है
फिर से कहीं और प्रेम बाँटने के लिए…
जब प्रेम का इज़हार करेंगे हम
हमारी कोई भी महान उपलब्धि
काम नहीं आएगी
काम आएगा सिर्फ़
स्त्री के क़दमों में बैठ
काँपते हाथों से फूल देना
अच्छे लोग
बहुत ही सस्ते होते हैं
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बस मीठा बोलो
और ख़रीद लों ।।
इतना सस्ता कभी नहीं रहा था मैं ।।
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वो तो उसी के लिये रियायत ज्यादा थी।।
समझता ही नहीं वो शख़्स,
अल्फ़ाज़ की गहराई…
हमने हर वो लफ़्ज़ कह दिया,
जिस में मोहब्बत है..!!