साल शुरू होता है जनवरी से,
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दिलों के रिश्तें बनते है फरवरी से.
इश्क़ में कोई होगा कैद,
तो इश्क़ से कोई होगा बरी
आ गयी है यारों दिल जोड़ने
और तोड़ने वाली फरवरी.
कितने ही दिल तोड़ती है ये “फरवरी” …
यूंही नही बनाने वाले ने
इसके दिन घटाये होंगे..!
स्त्री चाहती है..
पुरुष उसको पढ़े ।
पुरुष चाहता है..
स्त्री उसको सुने ।
दोनों ही एक दूसरे को..
ना सुनते हैं
ना ही पढ़ते हैं हाँ…
यह अलग बात है कि..
आजकल दोनों ही एक – दूसरे को लिखते खूब हैं !!
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है
~ बशीर बद्र
ज़रूरी नहीं की जो लड़कियां sad शायरी
करती हैं वो ” बीमार ए इश्क ” हों
मेरी तरह घर वालों के ताने सुन सुन कर भी
Sad शायरी करती हों…….