पा लेनी की बैचेनी
और खो देने का डर,
बस इतना ही है जिन्दगी का सफ़र।
स्त्री चाहती है..
पुरुष उसको पढ़े ।
पुरुष चाहता है..
स्त्री उसको सुने ।
दोनों ही एक दूसरे को..
ना सुनते हैं
ना ही पढ़ते हैं हाँ…
यह अलग बात है कि..
आजकल दोनों ही एक – दूसरे को लिखते खूब हैं !!
कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो,आँखें मूंदकर उसके पीछे न चलिए।
यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आँख,नाक,कान,मुँह, मस्तिष्क आदि क्यों देता..??
कानंद~स्वामी विवे
“मै एक मज़दूर हूँ।
जिस दिन कुछ लिख न लूँ,
उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं।”
#प्रेमचंद
जिनगी हम ता जियल चाहीं
खेत बगइचा बाड़ी में
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छोड़ छाड़ सब आईल बानी
हम इहवाँ लाचारी में
दिल में इंतजार की लकीर छोड जायेगे॥
आँखों में यादो की नमी छोड जायेगे,
ढूंढ़ते फिरोगे हमें एक दिन ……..
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जिन्दगी में एक दोस्त की कमी छोड जायेगे.
वो बरसात में नहाना
वो साइकल पर रेस लगाना
वो पानी के छींटे उछालना
वो घर आकर फिर से नहाना
वो नहाने के बाद खा पीकर सो जाना
वो बचपन की यादे
वो लड़कप्पन की बरसाते
वो बरसात में भीगना
वो दोस्तो की महफिले
वो हसीन यादे,
वो खूबसूरत लम्हे अब नही मिलते
#HappyFriendshipDay
आप की सीधी-सादी बातों में चीनी के एक दाने भर की भी मिठास नहीं तो क्या हुआ साहिब!!
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हम भी फीकी चाय शौक से पीते हैं!!
शादी शुदा मर्द ज्यादातर राशिफल नही पढ़ते…
वो तो रसोई से चाय के लिए अदरक कूटने
की आवाज से अंदाज़ा लगा लेते है कि
उनका आज का दिन कैसा रहेगा
😂🤣😂🤣😂🤣😂🤣🤣😂