इबारत …
इश्क की, लिखकर..
वो चल दिये…
और आयत समझ हम पढ़ते रहे उम्र भर…..!
महके-महके से रहते हैं खुश्बू से तेरी
तुम बन के इत्र बिखर गये हो मुझमें कहीं.!!
दिल खुद ढूंढ लेता है तेरी बेरुखी के बहाने।
तुम्हे अपनी सफाई में कुछ कहने की जरूरत नही।।
#उम्मीद लगाए आज भी,
तेरा करता हूं इंतज़ार.!
आओगे एक दिन पास मेरे,
जब टूटेगा विश्वास.!
मैं चाहूंगा फिर भी तुमको,
तुम रखना यह विश्वास.!
मेरा दर खुला है खुला रहेगा,
यह जानो मेरी बात.!
जब भी खोला है ये माज़ी का दरीचा मैं ने
कोई तस्वीर ख़यालों में नज़र आती है
~फ़रह इक़बाल
कौन चाहे है अच्छा होना बग़ैर तेरे साथ के
चारागर से कह दीदार लिखे तेरा दवा के नाम पर
मुझ को बीमार करेगी, तेरी आदत इक दिन
और फिर तुझ से भी अच्छा नहीं हो पाऊँगा
-Rahul Jha
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
~अहमद फ़राज़
मैं तुमसे बेहतर लिखता हूँ
पर जज्बात तुम्हारे अच्छे हैं
मैं खुश हरदम रहता हूँ
पर मुस्कान तुम्हारी अच्छी हैं
मैं अपने उसूलों पर चलता हूँ
पर ज़िद तुम्हारी अच्छी हैं
मैं एक बेहतर शख्सियत हूँ ,
पर सीरत तुम्हारी अच्छी हैं
मैं कितना भी कुछ कहता रहूँ
पर हर बात तुम्हारी अच्छी हैं