ख्वाहिशे मेरी “अधुरी” ही सही पर ..
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पर कोशिशे मै “पूरी” करता हुं….
नजाकत तो देखिये, की सूखे पत्ते ने डाली से कहा ..
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चुपके से अलग करना वरना लोगो का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा….
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में….
बस हम गिनती उसी की करते है,
जो हासिल ना हो सका….