वास्ता हुस्न से या शिद्दत ए जज्बात से क्या
इश्क को तेरे कबीले या मेरी जात से क्या
प्यास देखूं या करूँ फिक्र कि घर कच्चा है
सोच में हूँ कि मेरा रिश्ता है बरसात से क्या..!
(जौन एलिया)
वास्ता हुस्न से या शिद्दत ए जज्बात से क्या
इश्क को तेरे कबीले या मेरी जात से क्या
प्यास देखूं या करूँ फिक्र कि घर कच्चा है
सोच में हूँ कि मेरा रिश्ता है बरसात से क्या..!
(जौन एलिया)
नशा था उसकी झूठी बातों में
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वह वक़्त गुजारते रहे,और हम आदी होते गये
सुनो दूर रहकर भी तुम्हारी
हर खबर रखते हैं ….😎
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हम तुम्हें अपने करीब कुछ
इस कदर रखते हैं….!!!😘
सुनो,
ये जो तुम रुठ के मुझसे
हर बार चले जाते हो…
दफ़न सारे अहसास बताओ
कहां कर आते हो ?
प्रेम में पड़ी स्त्री को
तुम्हारे साथ सोने से ज्यादा अच्छा लगता है
तुम्हारे साथ जागना…!!
-अमृता प्रीतम-
लोग कहते हैं की पागल का कोई भरोसा नहीं..
कोई ये नहीं समझता की ‘भरोसे’ ने ही उसे पागल किया है..
कुछ रस्में मोहोब्बत में ऐसे भी निभाई हमनें
पूछा जब कभी “कैसी हो? ”
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कहा
“अच्छी” हमने !!
ना खूबसूरत…
ना अमीर…
ना शातिर बनाया था.
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मेरे खुदा ने तो मुझे तेरे खातिर बनाया था..😐