गिरते परिंदों में भी फर्क देखती है दुनिया,
संभालती उसी को है जो मजबूत होता है….
गिरते परिंदों में भी फर्क देखती है दुनिया,
संभालती उसी को है जो मजबूत होता है….
जो पहली मोहब्बत में हार जाते हैं
वो दुसरे इश्क़ में कमाल कर जाते हैं
इतना भी कीमती ना बना अपने आप को ,
हम गरीब लोग हैं महँगी चीज़ छोड़ दिया करते हैं
अगर तुम्हारी गिनती बदमाशों में होती है
तो हमारा नाम भी कभी शरीफों की गिनती में नहीं आया
माना कि तुम्हारे दिल मे कोई और है
.
हमें फेफड़ों में ही एडजस्ट कर लो ना😂😂😂
तु शरीफ होने का नाटक मत कर ऐ दोस्त,
मैंने देखा हे तुझे भजन गाते हुवे।🙄🙄
“हमारी बहु *सुशील* है”
पहले इस वाक्य में ‘सुशील’ विशेषण होता था
अब संज्ञा भी हो सकता है
😂