“मतलब” बहुत वजनदार होता है …!
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निकल जाने के बाद हर रिश्ते को हल्का कर देता है …!!
“मतलब” बहुत वजनदार होता है …!
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निकल जाने के बाद हर रिश्ते को हल्का कर देता है …!!
रोज़ रोज़ जलते हैं,
फिर भी खाक़ न हुए,
अजीब हैं कुछ ख़्वाब भी,
बुझ कर भी राख़ न हुए…
डरता हूँ कहने से की मोहब्बत है तुम से,
कि मेरी जिंदगी बदल देगा
तेरा इकरार भी
और इनकार भी..
मुझे इंतज़ार करना बेहद पसंद है,
क्यू की ,
ये वक़्त उम्मीद से भरा होता है !
साँसों का टूट जाना तो बहुत छोटी सी बात है दोस्तो,
जब अपने याद करना छोड़ दे, मौत तो उसे कहते है !!
न ज़ख्म भरे, न शराब सहारा हुई.,
न वो वापस लौटीं, न मोहब्बत दोबारा हुई..
तुमने तो फिर भी सीख लिए दुनिया के चाल चलन…
हम तो कुछ भी ना कर सके बस मुहब्बत के सिवा !!
“कभी हमसे भी पूछ लिया करो हाल-ए-दिल,
कभी हम भी तो कह सकें दुआ है आपकी”
नज़रिया बदल के देख,
हर तरफ नज़राने मिलेंगे
ऐ ज़िन्दगी यहाँ तेरी
तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे .