“मोबाइल कंपनी अगर सच बताने लगे”👇
जिससे आप संपर्क करना चाहते है वो जानबूझ कर फोन नहीं उठा रहे तो नौबत मार पिटाई तक आ जायेगी..😂😂😂
“मोबाइल कंपनी अगर सच बताने लगे”👇
जिससे आप संपर्क करना चाहते है वो जानबूझ कर फोन नहीं उठा रहे तो नौबत मार पिटाई तक आ जायेगी..😂😂😂
अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी
कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी
– शकील आज़मी
उसकी आँखें गुलज़ार साहब की नज़्म हो जैसे…
उसकी बातें जैसे क़ैफ़ी आज़मी की ‘तेरी ख़ुशबू में बसे ख़त’…
जब माँ मोबाइल रखने को कहे तो रख देना चाहिए, क्योंकि माँ के पैरों में जन्नत के साथ-साथ चप्पल भी होती है
😜😜
जहा दूसरे को समझाना मुश्किल हो जाये,
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वहा खुद को समझा लेना बहतर होता है…..
हजार के नोटों से तो बस अब जरूरत पूरी होती है,
मजा तो ” माँ ” से मांगे एक रूपये के सिक्के में था।
मेरी तक़दीर में एक भी गम ना होता,
अगर तक़दीर लिखने का हक़ मेरी माँ को होता..!!
स्कूल का वो बस्ता मुझे फिर से थमा दे माँ,
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ये ज़िन्दगी का सफर मुझे बड़ा मुश्किल लगता हैं!
कमा के इतनी दौलत भी मैं अपनी माँ को दे ना पाया,
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के जितने सिक्कों से माँ मेरी नज़र उतारा करती थी..!!