Year: <span>2018</span>

Year: 2018

राह में खतरे भी हैं लेकिन ठहरता कौन है

राह में खतरे भी हैं लेकिन ठहरता कौन है.
मौत कल आती है आज आ जाए डरता कौन है.

तेरे लश्कर के मुक़ाबिल में अकेला हूँ मगर
फैसला मैदान में होगा के मरता कौन है….

– राहत इंदौरी

मैं वो फल हूँ जो अपनो के पत्थर से टूटा हूँ

तू रंज न कर मैं तुझसे नही खुद से रुठा हूँ..

मैं वो फल हूँ जो अपनो के पत्थर से टूटा हूँ..

कोशिश और किस्मत

🍃 चन्द्रगुप्त ने पुछा 🍃
अगर किस्मत
पहले ही लिखी जा चुकी है तो,
कोशिश कर के क्या मिलेगा ?

🍃 चाणक्य ने कहा 🍃
क्या पता किस्मत में लिखा हो की,
कोशिश करने से ही मिलेगा.!!